पिछली दिनों एक पोस्ट में ज़ाकिर भाई ने भीषण गर्मी के बारे में लिखा था, मैं जब वह पोस्ट पढ़ रहा था तो पढ़ते पढ़ते ही इतनी गर्मी लगने लगी कि कोल्ड ड्रिंक्स की शिद्दत से हाजत महसूस होने लगी और मैंने फ़ौरी तौर पे पेप्सी की ठण्डी बोतल मंगा ली. एक तरफ़ मैं पोस्ट पढ़ रहा था और साथ में पेप्सी भी पी रहा था, साथ में बैठे एक साथी ने कहा: सलीम तुम इतना जो ठंडा पीते हो यह बहुत ही हानिकारक है, क्या तुम्हें नहीं पता!? तब मुझे लगा कि मुझे अगर प्यास लगी थी तो मैं ठंडा पानी भी पी सकता था, आख़िर क्यूँकर हम सब सॉफ्ट ड्रिंक्स, कोल्ड ड्रिंक्स आदि के इतने आदी होते जा रहे हैं. शीतल पेय पदार्थ अथवा सॉफ़्ट-ड्रिंक्स से होने वाली हानियाँ जो मुझे पता हैं आप सबको भी मैं बता दूं, ऐसा सोचा और लिख डाली यह पोस्ट:::
शीतल पेय का आकर्षण: शीतल पेय पदार्थ अथवा सॉफ़्ट ड्रिंक से मुराद यह है कि वह ड्रिंक जिसमे अल्कोहल नहीं होता है. अल्कोहल न होने कि वजह से ही इसे सॉफ़्ट ड्रिंक कहा जाता है लेकिन अगर आप सॉफ़्ट ड्रिंक्स में पाए जाने वाले तत्वों पर ग़ौर करेंगे तो आपको ऐसा कुछ भी नहीं मिलेगा जो आपकी सेहत के लिए 'सॉफ़्ट' हो सिवाय हार्ड के. आपकी सेहत के लिए हार्ड ही नहीं ख़तरनाक भी है. शीतल पेय अथवा सॉफ़्ट ड्रिंक ज़्यादातर शहर और मैट्रो शहरों में ज़्यादा लोकप्रिय है. सॉफ़्ट ड्रिंक की सबसे ज़्यादा खपत शहरों में ही होती है. आधुनिक रहन-सहन में इसका दख़ल अब उस हद तक हो गया है जैसे पहले के ज़माने में शरबत का था. लेकिन शरबत से इसकी तुलना हो ही नहीं सकती क्यूंकि एक तरफ़ शरबत जहाँ इंसान की प्यास बुझाता था और बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुँचाता था वही सॉफ़्ट ड्रिंक के पीने के बाद भी आत्मा तृप्त नहीं हो पाती है, और सेहत को भी ख़सारे (नुकसान) का सामना करना पड़ता है. युवा वर्ग सॉफ़्ट ड्रिंक्स के हमले का सबसे आसान टार्गेट है और वे ज़्यादातर इसे पानी जगह इस्तेमाल करते हैं. यहीं नहीं सॉफ़्ट ड्रिंक्स की कंपनियों के प्रचार भी इन्ही युवा वर्ग को ध्यान में रख कर किये जाते हैं जिससे कि वे आसानी से सॉफ़्ट ड्रिंक्स का इस्तेमाल करने लगे. अगर आप सॉफ़्ट ड्रिंक्स/कार्बोनेटेड ड्रिंक्स रोज़ाना इस्तेमाल करते है तो प्लीज़ रुकिए और ज़रा इस लेख को पढ़िए और समझिये कि यह कितना नुकसानदायक है आपकी सेहत के लिए; और यह जानिये कि इसमें कौन कौन से ख़तरनाक एलिमेंट्स सम्मिलित हैं:::
चीनी (Sugar, सुगर): सॉफ़्ट ड्रिंक्स में भरपूर मात्रा में चीनी का समावेश होता है, 325 मिली. कैन में लगभग 15 चाय के चम्मच के बराबर चीनी मिली हुई होती है. अब आप अंदाज़ा लगा लीजिये सिर्फ़ एक कैन ही आपको कितनी सुगर आपको प्रदान कर देता है और कितनी आपको ज़रूरत होती है! हम सबको मालूम है कि मीठा हमारे दांतों को ख़ा जाता है. डाईबिटीज़, ह्रदय रोग, पेट रोग और स्किन प्रॉब्लम होने में यह चीनी भी कम रोल अदा नहीं करती है. चीनी रक्त में जब मिलती है तो रक्त प्रवाह में तेज़ी लाने में दुष-सहायक होती है.
कृत्रिम मिठास: सॉफ़्ट ड्रिंक्स के प्रच्छन्न रूप जैसे 'डाईट-सोडा' अथवा 'टॉनिक-वाटर' में कृत्रिम मिठास देने वाले कैलोरी-रिड्यूसड तत्व मिलाये जाते है जो सेहत के साथ विभीषण सा कार्य करते हैं जैसे- अस्पार्टेम aspartame, अससुल्फे म अससुल्फेम-K acesulfame-K, सिक्रीन अथवा सुक्रलोज़ saccharin or sucralose.
अस्पार्टेम aspartame चीनी के मुक़ाबले 200 गुना ज़्यादा मीठा होता है, भले ही इसकी मौजूदगी से सॉफ़्ट ड्रिंक्स में टेस्ट का इज़ाफा हो जाता है लेकिन ये उतना ही ज़्यादा साइड इफेक्ट भी पैदा करता है, मसलन: माइग्रेन, याददाश्त का कम होना, भावनात्मक-समस्या से ग्रस्त, आँखों की रौशनी में फ़र्क़, कान की समस्या और ख़ास कर दिल की समस्या आदि. इसी तरह से अससुल्फेम अससुल्फेम-K acesu lfame-K भी चीनी के मुक़ाबले 100 से 200 गुना ज़्यादा मीठी होती है और नुकसान के ऐतबार से अस्पार्टेम की ही तरह नुकसानदायक है वहीँ सिक्रिन के बारे में सुन कर आपके रोयें खडे हो जायेंगे यह भी कृत्रिम मीठा पदार्थ होता है जिसके सेवन से मूत्राशय कैंसर हो जाने का ख़तरा प्रबल होता है. यह कनाडा, न्यूज़ीलैंड और कई यूरोपियन देशों में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है... वर्तमान में सिक्रिन का इस्तेमाल पेप्सी और कोला कम्पनी द्वारा अत्यधिक किया जाता है.
कैफ़ीन: कैफ़ीन के सेवन से इसकी लत लग जाने का ख़तरा होता है, इसकी वजह से पेय पदार्थ में सोडा फ़्लेवर का इज़ाफा होता है. कैफ़ीन कृत्रिम रूप से तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है और इसके सेवन से ह्रदय गति बढ़ जाती है. कैफ़ीन से मूत्राशय सम्बन्धी और पेट सम्बन्धी बीमारी होने की प्रबल संभावना होती है और ब्लड-प्रेशर व डाईबिटिज़ भी हो सकता है यही नहीं सबसे बड़ी बात यह कि यह शिशुओं में जन्म दोष का एक प्रमुख कारक है. कसरत करने के बाद सॉफ़्ट ड्रिंक्स का सेवन शरीर में कैल्शियम और पोटैसियम की कमीं करता है और जिसके चलते कसरत से होने वाली शारीरिक थकान व क्षति की पूर्ति में बाधा पड़ती है.
Research has shown that in order to neutralize
a glass of cola, you would have to drink
32 glasses of high pH alkaline water.
अम्ल: वर्तमान में ज़्यादातर सॉफ़्ट ड्रिंक्स में अम्लीय तत्वों की प्रचुरता रहती है जैसे- फोस्फोरिक व मैलिक अथवा टारटैरिक अम्ल आदि. एक अध्ययन के अनुसार इंसान के दांतों को दो दिन तक कोला ड्रिंक में डाल के रखा गया जिसके परिणामस्वरूप दांत मुलायम हो गए और दांतों के कैल्शियम में गिरावट आ गयी.
कार्बन-डाई-ओक्साइड: सॉफ़्ट-ड्रिंक्स कार्बन डाईआक्साइड को पानी में अत्यधिक दाब में समाहित किया. सोचिये ! जिस गैस को हम सबसे ज़्यादा ख़राब समझते हैं उसे सॉफ़्ट-ड्रिंक्स में अत्यधिक दाब में प्रेश्राईज़ करके डाला जाता है.
सॉफ़्ट-ड्रिंक्स संरक्षक: सॉफ़्ट-ड्रिंक्स को ज़्यादा वक़्त के लिए संरक्षित करने के लिए उसमें तरह तरह के संरक्षक मिला दिए जाते हैं जिससे दीर्घ समय तक भण्डारण में उसे रखा जा सके, लेकिन होता ये है कि ऐसा करके सॉफ़्ट-ड्रिंक्स की मूल अवस्थ को विकृत ही किया जाता है. आपको जानकार अत्यधिक आश्चर्य होगा कि भण्डारण में संरक्षित करने के लिए सोडियम बेंजोएट अर्थात बेंज़ोइक एसिड और सल्फर डाईआक्साइड मिलाया जाता है.
कृत्रिम स्वाद व रंग: तरह-तरह के स्वाद और रंग की चाहत वाली ग्राहक-बाज़ार को पूरा करने के लिए भौतिकवादी उपभोक्ता बाज़ार में सॉफ़्ट-ड्रिंक्स कंपनियों ने कृत्रिम (नक़ली) स्वाद और रंग ही भरना शुरू कर दिया. कृत्रिम तो आख़िर कृत्रिम ही होता है! और आप को मैं बता दूं कि कृत्रिम रंग व स्वाद के लिए जो तत्व इस्तेमाल होता है वह कैंसर होने के मुख्य वाहक होते हैं. दुनियां के कई देश में कृत्रिम रंग व स्वाद वाले तत्व को प्रतिबंधित कर दिया गया है. जैसे: टारट्रेज़ाइन (पीले अथवा संतरे रंग के लिए) को नार्वे और फिनलैंड में प्रतिबंधित कर दिया गया है, कार्मोज़ाइन (लाल रंग के लिए) को अमेरिका और कनाडा में प्रतिबंधित किया हुआ है, ब्रिलिएंट ब्लू को तो लगभग सभी देशों में प्रतिबंधित किया हुआ है.
सोडियम: सॉफ़्ट-ड्रिंक्स की स्थिरता के लिए इसकी निर्माता कम्पनियाँ अकार्बनिक सोडियम का प्रयोग करने से भी नहीं हिचकिचातीं हैं. सोडियम के इस्तेमाल से दिल की बीमारी और हाई-ब्लड-प्रेशर का ख़तरा बढ़ जाता है.
तो आख़िर किया क्या जाये!?
इस विषय पर लिखने से पहले मैं सॉफ़्ट -ड्रिंक्स को ज़्यादा बुरी नज़र से नहीं देखता था लेकिन मुझे बहुत गहरा सदमा लगा जब मैंने इसके बारे में मज़ीद (ज़्यादा) जाना और पढ़ा और समझा. सॉफ़्ट -ड्रिंक्स को बनाने में प्रयोग आने वाले उपरोक्त जानलेवा और ख़तरनाक तत्वों को इस्तेमाल की इजाज़त आख़िर देता कौन है? हमारी देश की सरकार जो पूंजीवाद के लुभावने और कृत्रिम छावं तले हम जानता को तिल-तिल कर मारने के लिए बाध्य कर रखा है. आप सोचते होंगे कि कौन कहता है तुम्हे ये सब इस्तेमाल करने के लिए, आप मत इस्तेमाल करो. हाँ ! सही तर्क दिया आपने!!!! मगर मेरा उत्तर सीधा और सपाट है कि "ये एक पूंजीवादी तर्क के सिवा कुछ नहीं" सोचिये जिधर नज़र जाती है सब तरफ़ प्लास्टिक के पैकेट ही पैकेट नज़र आते हैं.
अपना और मेरा साथ दें::: किसी भी प्रकार के सॉफ़्ट/कार्बोनेटेड/सोडा ड्रिंक्स के इस्तेमाल को आप आज ही से ख़त्म करें. आज ही से ख़त्म करें, अभी देर नहीं हुई है. आज ही से !!!!!!!!!!!!!!!! स्वस्थ जीवन की उच्चकोटि की शैली को अपनाएं! भारतीय पारंपरिक जीवन शैली को अपनाएँ! अपनाएँ वो जो आपके हित में है.......
अपीलकर्ता,
saleemlko@gmail.com
+ comments + 13 comments
बढ़िया ...जानकारी भरा आलेख
आ हा , अब समझा कि ...
तुझे रुह अफजा वालों PAISA मिला है ...
तुझे रुह अफजा वालों से PAISA मिला है ...
या फिर तुझे बाबा रामदेव ने खरीद लिया है , भगवा कपड़े पहनने का राज आज खुल ही गया ।
आज तुझे पहली बार वोट दूगा राष्ट्र शत्रु ।
खुस ?
देख तेरा गुरु भी खुस हो रहा है आज तो ...
तेरे मच्छर जमाल की तो खाट खड़ी कर दी इस अकेले आर्य ने ।
हा हा हा ...
सलीम साहब आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है यह पर्म कोई चिडिमार है जो कन्धे पे बन्दूक लिये फिरता है जो नहीं जानता कि रूह अफज़ा को ऐसी किसी पब्लिसिटी की ज़रूरत नहीं है, इसमें इतनी ताकत है कि मच्छर की खाट खडी कर देता है बस, अब सोचो मच्छर की खाट कितनी भारी होती होगी
i politely disagree with you.
i should not keep prejudice towards anything
n nice post .
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