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पानी दा रंग वेख के, अखियाँ चो हंजू रुल दे... Save Water


यह सन 2070 है!

मैं पचास वर्ष का हो चुका हूँ, लेकिन मुझे देख कर जैसे लगता है कि मैं 85 का हूँ! मुझे किडनी की बिमारी है क्यूंकि मझे पीने के लिए पर्याप्य पानी नहीं मिलता है. मुझे भय है कि मैं अब ज़्यादा समय तक ज़िन्दा नहीं रह पाउँगा. मैं अपने सोसाईटी के सबसे बूढ़े व्यक्तियों में से एक हूँ.

मुझे याद है जब मैं मात्र 5 वर्ष का था. उस वक़्त सबकुछ कितना बदला हुआ था. कितना मनोहर था. उस ज़माने में कितने सारे पार्क हुआ करते थे, घर में खुबसूरत बागीचा हुआ करता था...और... और मैं आधे-आधे घंटे तक फौहारे (shower) में नहाता रहता था. आज कल हम लोग अपने शरीर की त्वचा को स्वच्छ करने के लिए 'मिनरल तौलिया' का प्रयोग करते हैं.

पहले औरतों व लड़कियों के ख़ूबसूरत और लम्बे-लम्बे बाल हुआ करते थे लेकिन अब उन्हें सिर को साफ़ और स्वच्छ रखने के लिए बिना पानी के ही मुंडाना (shave) पड़ता है.

तब मेरे पिताजी हमारी कार को हौज़पाइप के पानी से धोते और साफ़ करते थे लेकिन अब मेरा बेटा इन बातों पर विश्वाश ही नहीं करता है कि पानी इतना व्यर्थ भी किया जाता होगा!

मुझे याद है उस वक़्त पानी बचाएं (SAVE WATER) की चेतावनी पोस्टर्स, रेडियो, टीवी पर हम लोगों को दी जाती थीं. अब सारी की सारी नदियाँ, झीलें, बाँध और ज़मीन के अन्दर का पानी या तो सूख चुका है या फ़िर दूषित हो चुका है.

उद्योग लगभग ठप हो चुका है और बेरोजगारी अपने भयानक नाटकीय अनुपात में पहुँच चुकी है और वर्तमान काल में रोज़गार का मुख्य स्रोत सिर्फ़ 'अलवणीकरण संयंत्र रोजगार' ही है और वेतन के रूप में पीने-योग्य पानी ही मिलता है.

एक गैलन पानी के लिए सडकों पर  आपस में गोलियां चलना अब आम बात हो चुकी है. खाद्य-पदार्थ अब 80% कृत्रिम (synthetic) हैं.
मुझे याद है पहले एक दिन में एक व्यस्क व्यक्ति को कम से कम 8 गिलास पानी पीने के लिए सलाह दी जाती थी औरआजकल हमें एक दिन में मात्र आधा गिलास पानी ही पीने को मिल पाता हैहमें पहनने के लिए disposable कपड़े मिलते हैं जिसके कारण कूड़े की मात्रा अपने चरम सीमा पर पहुँच चुकी है. अब हम सेप्टिक टैंक प्रयोग कर रहे हैं क्योंकि सीवरेज प्रणाली को पानी की कमी के कारण प्रयोग नहीं किया जाता है.

जनसँख्या की स्थिति अपने भयावह स्थिति पर पहुच चुकी है. हम लोगों का शरीर देख कर रोयें काँप उठते हैं. शरीर झुर्रियों से परिपूर्ण! निर्जलीकरण के कारण हमारे शरीर सूखे हुए है! ओजोन परत के संरक्षित न रहने के कारण  अल्ट्रा वायलेट विकिरण से घावों से भरा हुआ शरीर! वर्तमान में मृत्यु का मुख्य कारण त्वचा कैंसर, जठरांत्र संबंधी संक्रमण और मूत्र रोग होते हैं.

त्वचा के अत्यधिक रूप से सूखने की वजह से 20 वर्ष का युवा 40 वर्ष का नज़र आता है. वैज्ञानिक इन सब समस्याओं का समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें कोई सफलता हाथ नहीं लगी.

पानी को पैदा नहीं किया जा सकता है और ऑक्सीजन भी पेड़ों और वनस्पति की कमी की वजह से कम होती जा रही है. नई पीढ़ी की बौद्धिक क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो चुकी है. पुरुषों में शुक्राणुओं की संरच भी बुरी तरह प्रभावित हुई है जिसके परिणामस्वरूप बच्चे शारीरिक विकृति के साथ पैदा होते हैं.
"सरकार से हमें सांस लेने योग्य हवा ख़रीदनी पड़ती है और जो लोग इसका भुगतान नहीं कर पाते हैं उन्हें 'हवादार क्षेत्र' से निष्काषित कर दिया जाता है. हवादार संयत्र, सौर ऊर्जा से संचालित एक बहुत विशाल यांत्रिक फेफड़े होते हैं. हवा की गुणवत्ता बिलकुल भी अच्छी नहीं लेकिन कम से कम लोग सांस तो ले सकते हैं."
औसतन लोग 35 वर्ष तक का जीवन ही जी पाते हैं.

कुछ देश या क्षेत्र जो अभी भी थोड़े बहुत हरे भरे हैं और नदियाँ हैं, वह भारी संख्या में सैनिकों द्वारा संरक्षित हैं, और वहां इतनी सुरक्षा है जहाँ परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. सोना और हीरे से भी अधिक क़ीमती पानी, एक बहुत ही प्रतिष्ठित खजाना बन गया है.

जहाँ मैं रहता हूँ वहाँ बारिश की कमी के कारण एक भी पेड़ नहीं है और जब वर्षा होती भी है तो वह सामान्य न होकर अम्ल वर्षा होती हैभीषण परमाणु परिक्षण और 20वीं सदी के उद्योगों के कचरे और प्रदुषण से मौसम गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैंहम लोगों को पर्यावरण सम्बन्धी चेतावनियाँ दी जाती थीं लेकिन किसी ने भी उस पर ध्यान ही नहीं दिया.

अपने बेटे को जब मैं अपनी जवानी के बारे में बताता हूँ कि उस वक़्त कितनी हरियाली थी, सुन्दर सुन्दर फूल थे, नदियाँ थी जिनमें हम तैरते थे, मछलियाँ पकड़ते थे, कितने स्वस्थ रहते थे, कितनी सुन्दर बारिश होती थी... तो उसे मेरी बातों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता है.

वह मुझसे पूछता है कि- ऐसा कैसे हो गयाक्यूँ अब पानी नहीं है??

तब मेरा गला भर्रा उठता है और मैं जवाब-विहीन हो जाता हूँ.
मुझे शर्म महसूस होती है कि मैं उस पीढ़ी से वाबस्ता हूँ जिसके खाते में बस चेतावनी ही चेतावनी  हैं व जिसने इस भयानक विनाश में योगदान दिया है, जिसकी भारी क़ीमत हमारे बच्चे चुका रहें हैं. अब मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि पृथ्वी पर जीवन अब कुछ ही समय तक रहेगा क्यूंकि प्राकृतिक विनाश अब अपने अपरिवर्तनीय स्वरुप में हैं.

अब मैं लोगों को समझाने के लिए कैसे वापस जा सकता हूँ!!!???...

कैसे???

कैसे???


अभी भी वक़्त है हम संभल जाएँशुक्र है, हमारे पास अभी भी वक़्त है!!


हमारे पास अभी भी वक़्त है!!!
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