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गौ-रक्षा के लिए पॉलीथीन का प्रयोग बिल्कुल ना करें.

सलीम ख़ान
सिर्फ़ आप ही नहीं, गाय भी पॉलीथीन के कारण जोखिम में हैं. हम अपने लिए भी और गाय की रक्षा के लिए आज ही से पॉलीथीन को 'ना' बोलें ! पॉलीथीन का ना तो प्रयोग करें और न ही इसके प्रसार में तनिक भी सहयोग दें !! अगर दुकानदार आपको पॉलीबैग में सामान दे तो उसे नकार दीजिये और कहें कि पेपर बैग में दे बल्कि सबसे बेहतरीन तो यही होगा कि आप स्वयं एक थैला लेकर जाएँ. आप थैला ले जाने वाली प्रवृत्ति को सौ प्रतिशत तक आत्मसात कर लें. ये बेहतर रहेगा और प्राथमिक तौर पर आप पॉलीथीन को नकारने वाले कहलायेंगे. विचारधारा को बदलें, वो अपनाएँ जो सिर्फ़ आपके लिए हितकारी ना हो बल्कि पूरे समाज और पूरी दुनियाँ के लिए हितकारी हो...! आज आप पाठक-गण को पॉलीथीन और उसके प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभावों, उससे बचने के उपायों  के बारे में विस्तृत रूप से बताता हूँ. 

आजकल, हर रोज़ हजारों नए उत्पाद बाज़ार में अवतरित हो रहें हैं. उन्ही में से एक उत्पाद है पॉलीथीन बैग का. पॉलीथीन बैग तो हमारी-आपकी ज़िन्दगी में इतना आम हो चुका है कि यह हमारे दैनिक जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है. विकसित होने की चाह ने हमें इस क़दर निर्दयी बना दिया है कि हम अपनी ख़ूबसूरत धरती को नष्ट करने पर तुले हुए हैं. आधुनिक औद्योगीकरण में प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं से बाज़ार पटा पड़ा हुआ है. प्लास्टिक उद्योग की शुरुआत सन 1860 के आसपास हुई थी, जब प्लास्टिक की एक लहर सी आई और कहा जाने लगा कि प्लास्टिक युग आ गया है और अब हम प्लास्टिक युग में जीने जा रहें हैं.

पॉलीथीन बैग्स एक प्लास्टिक निर्मित वस्तु होती है. पेपर और जूट निर्मित पारंपरिक बैग के मुक़ाबले पॉलीबैग के फ़ायदे गिनाये जाते हैं और यह सत्य भी है कि पॉलीबैग, पेपर बैग या जूट बैग के मुक़ाबले कम जगह लेते हैं, वाटर-प्रूफ होते हैं और ज़्यादा मज़बूत होते हैं. पॉलीबैग जल्दी फटते नहीं हैं, द्रव पदार्थ को भी इसमें रखा जा सकता है, जबकि पेपर बैग में यह संभव नहीं है. इन्ही चन्द फ़ायदे के चलते प्लास्टिक बैग की मांग बढ़ती ही चली गयी.





पॉलीथीन व प्लास्टिक: एक संक्षिप परिचय


पॉलीथीन उच्च आणविक भार सहित एथिलीन का एक बहुलक है. जब इसे गर्म किया जाता है तो यह मुलायम हो जाता है और ठंडा होने पर यह वापिस कड़ा हो जाता है. पॉलीथीन एक प्लास्टिक उत्पाद है. प्लास्टिक शब्द ग्रीक भाषा के 'प्लास्टिकोज़' से बना है जिसका अर्थ होता है 'ढलाई के लिए सर्वथा उपयुक्त' एवम रासायनिक भाषा में. प्लास्टिक एक बहुमुखी वस्तु है. यह हल्का, लचीला, नमीं प्रधिरोधी, टिकाऊ, मज़बूत, अपारदर्शी होता है. यही विशेषताएं ही इसकी सबसे बड़ी ख़ामियाँ भी है.


पॉलीथीन: एक भयानक ख़तरा
उपरोक्त विश्लेषण से एक बात तो सामने आ जाती है कि प्लास्टिक बैग ज़्यादा टिकाऊ होते हैं और इसी विशेषता के कारण पर्यावरणविद्दों के माथे पर परेशानियों की लकीरें आने लगी हैं. यह इतना ज़्यादा टिकाऊ होता है कि नष्ट होने में लगभग सवा लाख साल लग जाता है. प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएं हमें यत्र-तत्र-सर्वत्र मिल जाती हैं. बाज़ार की हर एक दूकान में, शहर के हर एक घर में, कूड़ेघर के ढेर में, गटर में यहाँ तक कि सीवर लाइंस में भी ! यही वजह है कि बरसात के मौसम में गंदे पानी के ओवरफ्लो की वजह से शहर की गालियाँ और घर तक भर जाते हैं. यही गंदा पानी बिमारी की जड़ बन जाता है और कीटाणुओं और जीवाणुओं के बढ़ जाने का ख़तरा बढ़ जाता है.

पॉलीथीन को खाती गायें
इतना कुछ होने के बावजूद प्लास्टिक और इससे निर्मित वस्तुएं हमारी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा बन चुकी है, प्लास्टिक हमारी ज़िन्दगी में इतनी महत्वपूर्ण और व्यावहारिक हो चुकी है कि यह दोस्त बन-बन के हमें मिटा रही है. अब तो इसको नियंत्रित करने और समाप्त करने के लाले आ गये हैं. अविघटित स्वभाव होने की वजह से आसानी से विघटित भी नहीं किया जा सकता है. विघटित करने के प्रयास में इससे ज़हरीली गैस निकलती है जो पर्यावरण में बहुत बड़ी मात्रा में प्रदुषण करने में दुश्सहायक होती है. ज़हरीली गैसें पर्यावरण में मिलकर क्लोरीनेटेड यौगिक बनाती हैं जिसकी चपेट में आने पर त्वचा सम्बन्धी रोग एवम कैंसर हो सकता है. भारत में गाय और दुसरे खुले जानवर जो भोजन की तलाश में कूड़े में पड़े पॉलीबैग को खोलने के प्रयास करते हुए बैग को ही ख़ा जाते हैं, जिससे उनकी पाचन प्रणाली बन्द हो सकती है जो उनकी मृत्यु के कारण तक बन सकती हैं. वहीँ जल-निकायों (जलाशय, झील, नदी आदि) में जल-प्राणी जैसे मछली आदि पॉलीथीन को खा लेतीं है जिससे उनकी भी मौत हो जाती है.

पर्यावरण जागरूकता
खुला कचरा
इस तरह से पॉलीथीन जैविक और अजैविक वातावरण के लिए एक भयानक ख़तरा है. दुनियाँ भर के वैज्ञानिक और सामाजिक संस्थाएं इसके प्रति लगातार हमें चेता रहें हैं. वे हमें लगातार आगाह कर रहे है कि पॉलीथीन द्वारा हमें नुकसान पहुँच रहा है जिससे कई बीमारियाँ हो रही हैं. हालाँकि अज्ञानता, निरक्षरता, आम-जन की ग़रीबी भी इसका एक मूल कारण है. कूड़े में कई तरह के कचरे आपस में मिलकर नयी तरह की ज़हरीली गैसे और यौगिक बना डालते हैं. आम-जन को यह इल्म देना बहुत ज़रूरी है कि वह कूड़े-कचरे को किस तरह से व्यवस्थित करे. अलग-अलग तरह के कूड़े के लिए अलग-अलग व्यवस्था हो तो बेहतर होगा; जैसे- रसोई कचरा, कांच, प्लास्टिक, धातु, बैटरीज आदि. पर्यावरण सुरक्षा के दृष्टिगत हमें पॉलीबैग के प्रयोग में कटौती करनी चाहिए और काग़ज़, कपड़े और जुट के बैग के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए.

पृथ्वी अब थक चुकी है ! वह हमें वही सब चीज़ें वापस कर रही है जो हमने उसे दिया ! यह समय उपयुक्त है, अभी इसी वक़्त हम सचेत हो जाएँ, कहीं देर ना हो जाए ! हम प्रण करें कि प्रयावरण के प्रति जितना भी हो सकेगा सचेत रहेंगे !! हम हमेशा एक बात का ध्यान रखें कि 'पृथ्वी जैसी अनमोल धरोहर को हमने अपने पूर्वजों से अपने लिए नहीं बल्कि अपने बच्चो को देने के लिए लिया है', वो भी ऐज़ इट इज़ !
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+ comments + 12 comments

29 सितंबर 2010 को 5:05 pm बजे

achchha sandesh

बेनामी
29 सितंबर 2010 को 8:05 pm बजे

पृथ्वी अब थक चुकी है ! वह हमें वही सब चीज़ें वापस कर रही है जो हमने उसे दिया ! यह समय उपयुक्त है, अभी इसी वक़्त हम सचेत हो जाएँ, कहीं देर ना हो जाए ! हम प्रण करें कि प्रयावरण के प्रति जितना भी हो सकेगा सचेत रहेंगे !! हम हमेशा एक बात का ध्यान रखें कि 'पृथ्वी जैसी अनमोल धरोहर को हमने अपने पूर्वजों से अपने लिए नहीं बल्कि अपने बच्चो को देने के लिए लिया है', वो भी ऐज़ इट इज़ !

बेनामी
29 सितंबर 2010 को 8:05 pm बजे

इस तरह से पॉलीथीन जैविक और अजैविक वातावरण के लिए एक भयानक ख़तरा है. दुनियाँ भर के वैज्ञानिक और सामाजिक संस्थाएं इसके प्रति लगातार हमें चेता रहें हैं. वे हमें लगातार आगाह कर रहे है कि पॉलीथीन द्वारा हमें नुकसान पहुँच रहा है जिससे कई बीमारियाँ हो रही हैं. हालाँकि अज्ञानता, निरक्षरता, आम-जन की ग़रीबी भी इसका एक मूल कारण है. कूड़े में कई तरह के कचरे आपस में मिलकर नयी तरह की ज़हरीली गैसे और यौगिक बना डालते हैं. आम-जन को यह इल्म देना बहुत ज़रूरी है कि वह कूड़े-कचरे को किस तरह से व्यवस्थित करे. अलग-अलग तरह के कूड़े के लिए अलग-अलग व्यवस्था हो तो बेहतर होगा; जैसे- रसोई कचरा, कांच, प्लास्टिक, धातु, बैटरीज आदि. पर्यावरण सुरक्षा के दृष्टिगत हमें पॉलीबैग के प्रयोग में कटौती करनी चाहिए और काग़ज़, कपड़े और जुट के बैग के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए.

बेनामी
29 सितंबर 2010 को 8:05 pm बजे

इतना कुछ होने के बावजूद प्लास्टिक और इससे निर्मित वस्तुएं हमारी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा बन चुकी है, प्लास्टिक हमारी ज़िन्दगी में इतनी महत्वपूर्ण और व्यावहारिक हो चुकी है कि यह दोस्त बन-बन के हमें मिटा रही है. अब तो इसको नियंत्रित करने और समाप्त करने के लाले आ गये हैं. अविघटित स्वभाव होने की वजह से आसानी से विघटित भी नहीं किया जा सकता है. विघटित करने के प्रयास में इससे ज़हरीली गैस निकलती है जो पर्यावरण में बहुत बड़ी मात्रा में प्रदुषण करने में दुश्सहायक होती है. ज़हरीली गैसें पर्यावरण में मिलकर क्लोरीनेटेड यौगिक बनाती हैं जिसकी चपेट में आने पर त्वचा सम्बन्धी रोग एवम कैंसर हो सकता है. भारत में गाय और दुसरे खुले जानवर जो भोजन की तलाश में कूड़े में पड़े पॉलीबैग को खोलने के प्रयास करते हुए बैग को ही ख़ा जाते हैं, जिससे उनकी पाचन प्रणाली बन्द हो सकती है जो उनकी मृत्यु के कारण तक बन सकती हैं. वहीँ जल-निकायों (जलाशय, झील, नदी आदि) में जल-प्राणी जैसे मछली आदि पॉलीथीन को खा लेतीं है जिससे उनकी भी मौत हो जाती है.

बेनामी
29 सितंबर 2010 को 8:06 pm बजे

उपरोक्त विश्लेषण से एक बात तो सामने आ जाती है कि प्लास्टिक बैग ज़्यादा टिकाऊ होते हैं और इसी विशेषता के कारण पर्यावरणविद्दों के माथे पर परेशानियों की लकीरें आने लगी हैं. यह इतना ज़्यादा टिकाऊ होता है कि नष्ट होने में लगभग सवा लाख साल लग जाता है. प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएं हमें यत्र-तत्र-सर्वत्र मिल जाती हैं. बाज़ार की हर एक दूकान में, शहर के हर एक घर में, कूड़ेघर के ढेर में, गटर में यहाँ तक कि सीवर लाइंस में भी ! यही वजह है कि बरसात के मौसम में गंदे पानी के ओवरफ्लो की वजह से शहर की गालियाँ और घर तक भर जाते हैं. यही गंदा पानी बिमारी की जड़ बन जाता है और कीटाणुओं और जीवाणुओं के बढ़ जाने का ख़तरा बढ़ जाता है.

बेनामी
29 सितंबर 2010 को 8:06 pm बजे

पॉलीथीन बैग्स एक प्लास्टिक निर्मित वस्तु होती है. पेपर और जूट निर्मित पारंपरिक बैग के मुक़ाबले पॉलीबैग के फ़ायदे गिनाये जाते हैं और यह सत्य भी है कि पॉलीबैग, पेपर बैग या जूट बैग के मुक़ाबले कम जगह लेते हैं, वाटर-प्रूफ होते हैं और ज़्यादा मज़बूत होते हैं. पॉलीबैग जल्दी फटते नहीं हैं, द्रव पदार्थ को भी इसमें रखा जा सकता है, जबकि पेपर बैग में यह संभव नहीं है. इन्ही चन्द फ़ायदे के चलते प्लास्टिक बैग की मांग बढ़ती ही चली गयी.

बेनामी
29 सितंबर 2010 को 8:07 pm बजे

सिर्फ़ आप ही नहीं, गाय भी पॉलीथीन के कारण जोखिम में हैं. हम अपने लिए भी और गाय की रक्षा के लिए आज ही से पॉलीथीन को 'ना' बोलें ! पॉलीथीन का ना तो प्रयोग करें और न ही इसके प्रसार में तनिक भी सहयोग दें !! अगर दुकानदार आपको पॉलीबैग में सामान दे तो उसे नकार दीजिये और कहें कि पेपर बैग में दे बल्कि सबसे बेहतरीन तो यही होगा कि आप स्वयं एक थैला लेकर जाएँ. आप थैला ले जाने वाली प्रवृत्ति को सौ प्रतिशत तक आत्मसात कर लें. ये बेहतर रहेगा और प्राथमिक तौर पर आप पॉलीथीन को नकारने वाले कहलायेंगे. विचारधारा को बदलें, वो अपनाएँ जो सिर्फ़ आपके लिए हितकारी ना हो बल्कि पूरे समाज और पूरी दुनियाँ के लिए हितकारी हो...! आज आप पाठक-गण को पॉलीथीन और उसके प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभावों, उससे बचने के उपायों के बारे में विस्तृत रूप से बताता हूँ.

बेनामी
29 सितंबर 2010 को 8:07 pm बजे

सिर्फ़ आप ही नहीं, गाय भी पॉलीथीन के कारण जोखिम में हैं. हम अपने लिए भी और गाय की रक्षा के लिए आज ही से पॉलीथीन को 'ना' बोलें ! पॉलीथीन का ना तो प्रयोग करें और न ही इसके प्रसार में तनिक भी सहयोग दें !! अगर दुकानदार आपको पॉलीबैग में सामान दे तो उसे नकार दीजिये और कहें कि पेपर बैग में दे बल्कि सबसे बेहतरीन तो यही होगा कि आप स्वयं एक थैला लेकर जाएँ. आप थैला ले जाने वाली प्रवृत्ति को सौ प्रतिशत तक आत्मसात कर लें. ये बेहतर रहेगा और प्राथमिक तौर पर आप पॉलीथीन को नकारने वाले कहलायेंगे. विचारधारा को बदलें, वो अपनाएँ जो सिर्फ़ आपके लिए हितकारी ना हो बल्कि पूरे समाज और पूरी दुनियाँ के लिए हितकारी हो...! आज आप पाठक-गण को पॉलीथीन और उसके प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभावों, उससे बचने के उपायों के बारे में विस्तृत रूप से बताता हूँ.

बेनामी
29 सितंबर 2010 को 8:07 pm बजे

पॉलीथीन बैग्स एक प्लास्टिक निर्मित वस्तु होती है. पेपर और जूट निर्मित पारंपरिक बैग के मुक़ाबले पॉलीबैग के फ़ायदे गिनाये जाते हैं और यह सत्य भी है कि पॉलीबैग, पेपर बैग या जूट बैग के मुक़ाबले कम जगह लेते हैं, वाटर-प्रूफ होते हैं और ज़्यादा मज़बूत होते हैं. पॉलीबैग जल्दी फटते नहीं हैं, द्रव पदार्थ को भी इसमें रखा जा सकता है, जबकि पेपर बैग में यह संभव नहीं है. इन्ही चन्द फ़ायदे के चलते प्लास्टिक बैग की मांग बढ़ती ही चली गयी.

29 सितंबर 2010 को 10:20 pm बजे

आज सचमुच यह एक स्वच्छ सन्देश लग रहा है , nice post

30 सितंबर 2010 को 12:28 am बजे

प्लास्टिक एक बहुमुखी वस्तु है. यह हल्का, लचीला, नमीं प्रधिरोधी, टिकाऊ, मज़बूत, अपारदर्शी होता है. यही विशेषताएं ही इसकी सबसे बड़ी ख़ामियाँ भी है.
सहमत .. बढिया लेख !!

5 नवंबर 2010 को 9:53 am बजे

दीपावली के इस शुभ बेला में माता महालक्ष्मी आप पर कृपा करें और आपके सुख-समृद्धि-धन-धान्य-मान-सम्मान में वृद्धि प्रदान करें!

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