tag:blogger.com,1999:blog-3692764489278487302.post2091330341563596329..comments2023-04-11T15:58:11.180+05:30Comments on स्वच्छ सन्देश: तरह-तरह के साँप (Different Types of Snake)Saleem Khanhttp://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3692764489278487302.post-10885549723318851832014-04-01T09:26:44.461+05:302014-04-01T09:26:44.461+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Abinaya Selvihttps://www.blogger.com/profile/01524333336438646311noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3692764489278487302.post-32959273531661772232010-08-14T17:43:47.648+05:302010-08-14T17:43:47.648+05:30apki post , nice post .apki post , nice post .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3692764489278487302.post-73158489679014497172010-08-14T17:26:53.998+05:302010-08-14T17:26:53.998+05:30मनुष्य का मार्ग और धर्म
पालनहार प्रभु ने मनुष्य की...मनुष्य का मार्ग और धर्म<br />पालनहार प्रभु ने मनुष्य की रचना दुख भोगने के लिए नहीं की है। दुख तो मनुष्य तब भोगता है जब वह ‘मार्ग’ से विचलित हो जाता है। मार्ग पर चलना ही मनुष्य का कत्र्तव्य और धर्म है। मार्ग से हटना अज्ञान और अधर्म है जो सारे दूखों का मूल है।<br />पालनहार प्रभु ने अपनी दया से मनुष्य की रचना की उसे ‘मार्ग’ दिखाया ताकि वह निरन्तर ज्ञान के द्वारा विकास और आनन्द के सोपान तय करता हुआ उस पद को प्राप्त कर ले जहाँ रोग,शोक, भय और मृत्यु की परछाइयाँ तक उसे न छू सकें। मार्ग सरल है, धर्म स्वाभाविक है। इसके लिए अप्राकृतिक और कष्टदायक साधनाओं को करने की नहीं बल्कि उन्हें छोड़ने की ज़रूरत है।<br />http://islamdharma.blogspot.com/DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3692764489278487302.post-44007533923194105962010-08-14T17:25:52.798+05:302010-08-14T17:25:52.798+05:30"इस्लाम अपने अत्यंत विस्तार काल मे भी अनुदार ..."इस्लाम अपने अत्यंत विस्तार काल मे भी अनुदार नही था, ब्लकि सारा संसार उसकी प्रशंसा कर रहा था । उस समय जबकि पश्चिमी दुनिया अंधकारमय थी, पूर्व क्षितिज मे एक उज्जवल सितारा चमका, जिससे विकल संसार को प्रकाश और शांति प्राप्त हुई ।इस्लाम झूठा मज़हब नही है , हिंदुओ को भी इसका उसी तरह अध्ययन करना चाहिए, जिस तरह मैने किया है । <br />http://drayazahmad.blogspot.com/2010/08/mahatma-gandhi-ayaz-ahmad.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com